Over 100k people in rural India accessed verified info on #coronavirus and received support on relief measures through Mobile Vaani, as part of the Verified initiative by UN and Purpose
Nearly a million people across rural India have accessed verified information and FAQs on #coronavirus and are able to get support on relief measures through our #MobileVaani platforms. Here's a snippet on our role in the #Verified initiative by @UN in collaboration with @Purposehttps://t.co/Lw3L1xnao7
कोरोना महामारी और लॉक डाउन से आई आर्थिक मंदी ने लाखों कामगारों को घर वापस लौटने के लिए मजबूर किया, कुछ खुश किसमत मजदूरों को घर लौट कर काम मिल गया लेकिन मजदूरों की बड़ी आबादी तालाबंदी खुलने के बाद काम की तलाश करती रही. केंद्र सरकार ने घर लौटे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में काम मिले, ज्यादा मजदूरों को इस योजना के तहत काम दे सके इसके लिए 40,000 करोड़ अतिरिक्त आर्थिक पैकज भी दिया और साथ ही मनरेगा मजदूरी में भी तक़रीबन 20 रूपये की वृद्धि की. लेकिन धरातल पर मजदूरों को काम मिलने में आरही अनेकों परिशानियां नज़रअंदाज किया जाता रहा, ताला बंदी के दौरान अनेकों मजदूरों ने राशन और काम न मिलने की शिकात रिकॉर्ड की, मोबाइल वाणी तत्परता के साथ सभी शिकायतों को प्रसाशन, स्थानीय समाज सेवी संस्था, समाज में कार्य कर रहे पंचायत अधिकारी और स्वयं सेवकों की मदद से सभी शिकयोतों को दूर करने का प्रयास भी की, 600 से ज्यादा शिकायतों को ताला बंदी के दौरान निपटान किया और साथ ही गरीब वंचित और असहाय समुदाय को सम्मान की जिंदगी मिले के लिए रोज़ी रोटी अधिकार अभियान की शुरुआत की, इस अभियान के तहत मोबाइल वाणी और जवाहर ज्योति वाल विकास केंद्र की घनिष्टता और बढ़ी और दोनों ही संस्था एक जूट होकर गरीबों के अधिकार के लिए काम करने लगी . इसी क्रम में सरायरंजन प्रखंड में जीविकोपार्जन विकास के लिए कार्य करने वाली स्थानीय संस्था जवाहर ज्योति बाल विकास केंद्र की स्वयंसेवक अर्चना का साथ मिला. अर्चना पिछले 06 महीने से मोबाइल वाणी की नियमित श्रोता है और उन्होंने मोबाइल वाणी सुनते हुए कई बार सुना की मोबाइल वाणी पर योजनाओं से सम्बंधित जानकारी पा सकती हैं एवं अपने समस्याओं को यहाँ पर रिकॉर्ड कर सम्बंधित अधिकारी का ध्यानाकृष्ट कराने के लिए उनके फ़ोन पर सन्देश सीधा साझा कर सकती हैं बस फिर क्या था अर्चना ने एक शुरुआत की. अपने कार्य क्षेत्र में उन्होंने देखा की कई मजदूर जो प्रदेश से वापस आए हैं वह अब तक घर पर बैठे हैं उनके बच्चे अक्सर हीं भूख के कारन विलखते हैं इनकी बस्ती में जाकर मनरेगा अंतर्गत काम करने के बारे में पूछा, पूछने के दौरान अर्चना को मालूम हुआ की वह सभी महिला और परुष मजदुर मनरेगा में कार्य तो करना चाहते हैं पर पंचायत में मनरेगा के कर्मचारी उन्हें काम देने में रूचि नहीं दिखा रहे , तभी अर्चना को लगा की मोबाइल वाणी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकती है. इसके साथ ही उसने उन ग्रामीण मजदूरों के साथ मनरेगा आधिकार के लिए एक सामुदायिक बैठक की सभी को मोबाइल वाणी के बारे में बताया उसके बाद उन सभी को बढ़ावा दिया की उन्हें मनरेगा में काम क्यूँ नही मिल पा रहा है से सम्बंधित जानकारी रिकॉर्ड कराएं.
क्या कहते हैं मनरेगा में काम करने के इक्षुक मजदूर?
समस्तीपुर जिले के सरायरंजन प्रखंड के किशनपुर युसूफ पंचायत से शोभा देवी कहती हैं की उन्हें अब तक कोई काम नहीं मिला , काम मिलने की क्या प्रक्रिया है यह भी नहीं जानती हैं, एक बार शोभा देवी काम के बारे में जानकारी प्राप्त करने वार्ड सदस्य रामकुमार पासवान के पास गयी तो उनको बताया गया की जॉब कार्ड लॉक डाउन के बाद बनेगा, यह भी देखा गया की ऐसे मजदूरों को मनरेगा जॉब कार्ड, काम मांगने की प्रक्रिया के बारे में कुछ जानकारी नहीं है और न ही इन मजदूरों तक कभी कोई पंचायत प्रतिनिधि या रोज़गार सेवक की पहुँच बनी जिससे इन्हें काम मिलने की प्रक्रिया का पता चलता और अंततः काम मिल पाता.
वहीँ राजकुमारी देवी कहती हैं की वह भी वार्ड सदस्य के पास गयी थी लेकिन उन्हों ने कुछ भी नहीं बताया कहाँ से और कैसे मनरेगा के तहत काम मिलेगा, इन्होने ने मुखिया को भी संपर्क किया लेकिन किसी ने भी सही जानकरी नहीं दी की जॉब कार्ड कैसे बनेगा और काम कैसे मिलेगा. एक अन्य श्रोता किशन पुर युसूफ से सुशिल कुमार मोबाइल वाणी से पूछ रहे हैं की जॉब कार्ड कैसे बनता है यह बताएं ताकि जॉब कार्ड बनवा कर मनरेगा के तहत काम कर सम्मान पूर्ण जिंदगी जी सकें.
इन सभी रिकॉर्डिंग को सुनने के बाद स्वयं सेविका अर्चना ने क्या किया?
मोबाइल वाणी पर अर्चना चूँकि नियमित श्रोता रही हैं सभी रिकॉर्डिंग को ध्यान पूर्वक सुनती रही और अंततः फैसला किया की इन सभी परेशानियों को मनरेगा अधिकारी के साथ साझा किया जाना चाहिए, जमीनी सच्चाई से अधिकारीयों को अवगत करना चाहिए, मनरेगा अधिकारी जैसे रोजगार सेवक और प्रखंड कार्यक्रम अधिकारी का नंबर उपलब्ध उनके मोबाइल पर इन सभी रिकॉर्डिंग को शेयर करना शुरू की , बाद में फ़ोन कर अपने पंचायत में रोज़गार दिवस लगाने की अपील की. इसी दौरान रोजगार सेवक इन्द्रजीत कुमार मोबाइल वाणी से बात करते हुए यह बता रहे थे की किस प्रकार मनरेगा अंतर्गत जॉब कार्ड बनाया जा सकता हैं एवं काम की मांग की जा सकती है साथ ही इन्द्रजीत कुमार द्वारा यह भी बताया गया की जॉब कार्ड एवं काम मांगने सम्बंधित आवेदन के लिए पंचायत भवन पर हर सप्ताह बुधवार को पंचायत रोजगार दिवस का आयोजन किया जाना है तय हुआ है और यह अनिवार्य है. बस फिर क्या था अर्चना को मजदूरो की समस्या के समाधान के पर लग गये उसके हौसले को एक नयी उड़ान मिल गयी और उसके बाद अर्चना ने सभी इक्षुक ग्रामीण जो मनरेगा अंतर्गत कार्य करना चाहते थे उन्हें जॉब कार्ड बनाने के लिए जरूरी कागजातों के बारे में मोबाइल वाणी पर सुनाया एवं अगले बुधवार को सभी ग्रामीणों के साथ पहुँच गयी पंचायत भवन वहां पंचायत रोजगार सेवक के नहीं मिलने पर पंचायत रोजगार सेवक से मोबाइल पर फोन और मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड किए गए वक्तव्य को याद दिलाया जहाँ इन्होने ने खुद कहा था की सप्ताह के हर बुधवार को आप पंचायत भवन पर रोजगार दिवस का आयोजन करते हैं इसी क्रम में किशनपुर युसूफ के करीब चालीस परिवार के लोग मनरेगा अंतर्गत जॉब कार्ड बनवाने के लिए यहाँ पर एकत्रित हुए हैं आप आइये और इन सबका आवेदन लीजिए, अपनी ही बातों को सुनकर पंचायत रोजगार सेवक वेवस थे और थड़े समय में पंचायत भवन आने का वादा किया , 1 घंटे के अन्दर रोजगार सेवक इन्द्रजीत कुमार आए सभी इक्षुक परिवार के जॉब कार्ड के आवेदन को लिया. अर्चना और रोज़गार सेवक दोनों ने ने मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड कराया की उनके द्वारा 40 परिवारों के जॉब कार्ड बनाने हेतु आवेदन लिया गया है साथ हि अर्चना ने रिकॉर्ड कराया की उनके समक्ष 40 इक्षुक परिवारों को मनरेगा जॉब कार्ड के लिए आवेदन किया गया है जिसे 15 दिनों में जॉब कार्ड दिया जाएगा, अब सभी मजदूरों को जॉब कार्ड प्राप्त होगया है और काम भी प्राप्त हुआ है.
अर्चना जैसे स्वयं सेवकों के काम करने का मूल मंत्र क्या है?
अर्चना और इनके जैसे अनेकों स्वयं सेवकों जो मोबाइल वाणी और अन्य संस्थाओं के साथ गरीबों और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रसाशनिक प्रक्रिया बेहतर हो के लिए कार्य कर रही हैं निम्न मूल मंत्र का पालन करती हैं:
समुदाय को उनके अधिकारों , सरकार द्वारा चलायी जारही योजनाओं की जानकरी खुद देती हैं, इनके द्वारा दी जारही जानकारी पर लोगों का विशवास हो इसके लिए मोबाइल वाणी जैसी आधुनिक संचार सेवा का प्रयोग करती हैं , उन्हें सुनने के लिए प्रेरित करती है, जिनके पास मोबाइल उपलब्ध नहीं होता उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सुनने के लिए प्रेरित करती है, खुद अपने मोबाइल से मोबाइल वाणी के नंबर पर डायल कर सुनाती हैं.
जानकारी बढ़ने के बाद अर्चना कहती है की सिर्फ जानकारी ऐसे समुदाय के लिए काफी नहीं होता क्योंकि इन्हें पढना लिखना भी नहीं आता इसलिए इन्हें प्रशिक्षित भी करना जरूरी है, इसके लिए उनके साथ बैठक करनी होती है जरूरी जानकारी के साथ पढना लिखना भी सिखाना होता हैं, उनके अन्दर आत्म विश्वास लाना होता है, पहल करने के लिए लामबंद करना होता है, जरूरत के समय इनके साथ खड़ा होना जरूरी है जैसे पंचायत केंद्र ले जाना, अधिकारी के साथ बात करना इत्यादि.
अधिकारीयों और पंचायत प्रतिनिधि के साथ लगातार संपर्क कर, समुदाय की समस्याओं से अवगत कर पहल करने के लिए प्रेरित करना, अधिकारीयों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना और समय पर उपलब्ध रहना सुनिश्चित करती है ऐसा करने से समुदाय के अन्दर आत्म विशवास का जन्म होता है, समुदाय अपने आप को सक्षम मानती है, अधिकारीयों के सामने अपनी बात रख पाती है.
अपने सभी अनुभवों को वह मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करती है, जनता द्वारा उठाए गए कदम को रिकॉर्ड करती है, अधिकारीयों के साक्षात्कार रिकॉर्ड करती है, अगली कार्रवाई के लिए आश्वासन सुनिश्चित करती है ,बड़े अधिकारीयों को सुनाती है, जनता को सुनाती है तब जनता अपने किए काम पर प्रफुल्लित होकर निकट भविष्य में लामबंद होती है और परेशानियों को एकजुट होकर समाधान की पहल करती है.
अर्चना की नज़र में ऐसा करने से समुदाय की सीख उनके पास ही रहती है और बार बार समस्या समाधान के लिए किसी और के पास नहीं जाना पड़ता और अधिकारी भी जान जाते हैं की अब अगर काम नहीं करेंगे, समय पर उपलब्ध नहीं रहेंगे तो यह लोग मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड कर उच्च अधिकारी को सुनाएंगे, नौकरी खतरे में पड़ सकती है इसलिए स समय उपलब्ध रहना जरूरी है और सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को धरातल पर लागू करने के लिए तत्पर रहते हैं.
अर्चना अंत में कहती हैं की वह अभी छात्र हैं, यह अनुभव उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने और प्रसाशनिक कार्रवाई को सुनिश्चित करने में मदद करती है, यह काम उन्हों ने धरातल पर किया है इसके लिए समुदाय में बहूत सम्मान पाती है, निकट भविष्य में प्रसाशनिक अधिकारी बनना चाहती है, मोबाइल वाणी परिवार इनके लिए उज्जवल भविष्य की कामना करती है.
मोबाइलवाणी के जरिए लोग ना केवल अपनी बात रिकॉर्ड कर रहे हैं बल्कि उन्हें उन लोगों तक पहुंचा रहे हैं जो सीधे सत्ता और प्रशासन से संबंध रखते हैं. यह आप सुन सकते, बोल सकते हैं और पूरी दुनिया तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं. अपने हक, अपने अधिकार, अपनी मांगे और अपने विचारों को साझा करने का सबसे सरल माध्यम है मोबाइलवाणी. जहां लोगों की बुनियादी जरुरतों पर बात की जाती है. उनके जीवन को सरल और आसान बनाने के तरीकों पर चर्चा होती है. यहां राजनीति के लिए जगह नहीं यह मंच केवल आम लोगों का है… आपका है.. हमारा है.. हम सबका है..
92 से भी ज्यादा दिन गुजर चुके हैं और होंडा संविदा कर्मचारी अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. प्रबंधन को न तो उनके श्रम की परवाह है ना ही मांगों. ग्रामवाणी की टीम इन श्रमिकों से बात करने पहुंची है, तो आइए इस वीडियो के जरिए जाने श्रमिकों की राय…