Our listeners reported that deliveries have been happening in bathrooms in Jharkhand. The data was shared with the regional media and several articles, including the one below, were published which created significant pressure on the administration to address the issues. Original source here.
झारखंड में स्वास्थ्य सुविधा नदारद, बाथरूम में होते हैं प्रसव
प्रेषित समय :18:54:34 PM / Wed, Sep 18th, 2013
विकास सिन्हा, रांची. झारखंड गठन के 12 वर्षों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधा नदारद है. लोगों को कई किलोमीटर दूर स्वास्थ्य सुविधा उपकेंद्रों में इलाज के लिए जाना होता है. इन केंद्रों में भी स्वास्थ्य सविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग निजी अस्पताल में जाने को विवश हैं. झारखंड ग्राम वाणी द्वारा कराये गये कैंपेन में कई बातें निकल कर आयी है. झारखंड मोबाइल वाणी के मोबाइल नंबर पर कॉल कर अपनी विचार को बयान दर्ज कराया है. झारखंड मोबाइल वाणी पिछले 27 अप्रैल से अभियान संचालित की, जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं से संबंधित कई प्रश्न पूछे गये. ग्राम वाणी एक निःशुल्क संस्था है, जिसके कारण लोग इस नंबर पर कॉल कर अपने बातों, दुख और सुखों सहित सामाजिक विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.
झारखंड ग्राम वाणी ने अपने कंपेन के दौरान क्वालिटी ऑफ कयर, आधारभूत संरचना, जीवन रक्षक दवा और सुविधाएं अपने गांवों से अस्पताल की दूरी आदि पर कई प्रश्न पूछे, इसे कैंपेन में जो बातें निकल कर आयी, वह चौंकाने वाली हैं.
झारखंड मोबाइल वाणी में लोगों ने बताया कि झारखंड के सुदूरवर्ती पंचायतों में स्वास्थ्य सुविधा की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. धनबाद के बाघमारा से उमेश तुरी के अनुसार जिले में कई स्वास्थ्य केंद्रों से पंचायतों की दूरी 10-15 किलोमीटर की दूरी पर है. इस केंद्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग बाहर इलाज कराने को विवश हैं. बोकारो जिले के नवाडीह पंचायत से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य केंद्र लोगों को उपलबध है. इस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
झारखंड मोबाइल वाणी के कैंपेन में जो बातें निकल कर आयी हैं, उसके अनुसार 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल है. स्वास्थ्य केंद्रों में जांच घर तक उपलब्ध नहीं है. कराये गये कैंपेन के अनुसार 86 प्रतिशत लोगों ने कहा कि झारखंड के स्वास्थ्य केंदों में पेयजल और शौचालय की कमी है. जिससे इलाज कराने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. गिरिडीह के बेंगाबाद के लक्ष्मण राम का कहना है कि उग्रवाद प्रभावित जिले होने के कारण स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधा उपलब्ध नहीं है. कई बार इन स्वास्थ्य केंद्रों के बाथरूम में प्रसव कराये गये हैं. गिरिडीह जिले में स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंच के लिए कोई कनेक्टीविटी तक उपलब्ध नहीं है.
इस संबंध में समाजसेवी और पंचायत विषेशज्ञ विष्णु राजगढ़िया कहते हैं कि झारखंड में स्थायी सरकार नहीं होने के कारण स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में काम नहीं हो सका है. लेकिन राज्य बनने के बाद कई योजनाओं को धरातल पर उतारने के प्रयास चल रहे हैं. जब तक स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा जाता, तब तक लोगों को स्वास्थ्य सुविधा आसानी से नहीं मिल पायेगी. हालांकि सरकारी अधिकारी भी इस बात से सहमत होते हैं कि उग्रवाद प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना टेढ़ी खीर है.