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Gramvaani has a rich history of developing mixed media content that includes audio-video stories, developing reports based on surveys conducted with population cut off from mainstream media channels and publishing research papers that helps in changing the way policies are designed for various schemes. Our blog section is curation of those different types of content.

If development has indeed happened, why is there still so much dissatisfaction among the citizens?

admin 27 May 2021

Sultan’s article has been published in the NGO Times, congrats Sultan! Original link

शहर की खूबसूरत ऊँची-ऊँची चमकती इमारतें, लम्बे-चौड़े फ्लाई-ओवर, चार लेन वाली सड़कें और उस पर दन दनाती गाड़ियों का कारवां को देखकर तो ऐसा लगता है जैसे वाकई इस भारत मैं अब कोई गरीब नहीं रहा। लेकिन जब आये दिन खबरें मिलती है कि बिहार, झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में गरीबी के कारण लोग अपने कलेजे के टुकड़े को बेच कर दो जून की रोटी का इन्तजाम करने को तैयार हैं।

किसान क़र्ज़ की बोझ से निजात पाने के लिए आत्महत्या कर रहे हैं। गुरबत और गरीबी के कारण बेटियां देह के बाजार में बेची रही हैं। हालात ये है कि कहीं निराशा है तो कहीं आक्रोश है, लेकिन न जाने सत्ता नशीनों को किस चीज का नशा है कि उन्हें इसका अहसास ही नहीं होता दिख रहा।
चुनावी माहोल है, प्रत्याशी ये कहते नहीं थक रहे हैं कि हमने राज्य में सबसे ज्यादा विकास किया है। अगर ऐसा हुआ है तो फिर जनता मैं इतना आक्रोश क्यों हैं। हालांकि चुनावी मौसम में बदलाव की आस जगाने वाले नारे भी अब नेपथ्य में चले गए। चौदहवीं लोक सभा चुनाव में जो विकास का मुद्दा जोर पकड़ा था अब न जाने वो भी कहाँ विलुप्त हो गया।

विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्रीयों तक ने इस बात को मान लिया है कि आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या आय मैं असमानता है। विकास की धारा गाँव तक क्यों पहुंचते-पहुँचते दम तोड़ देती है, जनता को साफ़ पानी मुहैया नहीं, सड़क, विजली, स्वास्थ्य सेवा नदारद है। लंदन में आई एम् एफ की प्रतिनिधि, रिचर्ड डिमब्लेबी, व्याख्यान देते हुए कहा कि ‘भारत में अरबपति समुदाय मैं तीब्र गति से वृद्धि हुई है पिछले पंद्रह वर्ष में 12 गुना वृद्धि हुई है, जिनके जरिये भारत की गरीबी को मिटाने का काम किया जा सकता था जो की नहीं हुआ।

ग्रामवाणी की जनता का घोषणा पत्र अभियान, बदलाव के आस की बयार मुलभूत समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ग्रामवाणी ने झारखण्ड और बिहार में मोबाइल वाणी के जरिये जनता का घोषणा पत्र नामक एक अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान में हर सप्ताह जनता से जानने का प्रयास किया जाता है की उनके गाँव समाज में विकास की मुख्य समस्या क्या है ? और उनके मुताबिक राजनितिक पार्टियों को घोषणा पत्र में किन मुद्दों को प्रमुख स्थान देना चाहिए जिससे जनता का विकास हो सके।

इस सप्ताह जनता के घोषणा पत्र अभियान के तहत यह जानने की कोशिश है की आय में असमानता का कारण क्या हैं ? क्यों आज अमीर लोग अमीर होते जा रहे हैं और गरीब दिनों-दिन गरीब होते जा रहे हैं ? क्या इसके लिए समाज और सरकार की आर्थिक नीति जिम्मेवार है ?

जनता के द्वारा दिए गए सवालों, सुझाओं, रायों पर आधारित रिपोर्ट ऑक्सफेम संस्था राजनितिक पार्टियों और सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के समक्ष रखेगा और प्रयास करेगा की इन मुद्दों पर सरकार द्वारा असरदार नीति का निर्माण हो जिसका लाभ देश में रह रहे सभी नागरिकों को मिले।
जनता के घोषणापत्र अभियान में आये सवालों और सुझावों को पंचायत नामा और प्रभात खबर मैं प्रकाशित कर सरकार और समाज के सभी तबके तक पहुंचाया जाएगा।

आप भी अपनी राय देने के लिए कॉल करें बिहार मोबाइल वाणी के नि:शुल्क नंबर 08800984861 पर और रिकॉर्ड कराएं अपने सुझाव अपनी राय .